Hint Me India में आपका स्वागत है | हमारे जीवन में नाम के पहले अक्षर का काफी अधिक महत्व बताया गया है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में होता है, उसी राशि के अनुसार नाम का पहला अक्षर निर्धारित किया जाता है। चंद्र की स्थिति के अनुसार ही हमारी नाम राशि मानी जाती है। हम आपको सभी अक्षरों के साथ-साथ 12 रासियों के बारे में बता रहे है। नाम के पहले अक्षर से राशि मालूम होती है और उस राशि के अनुसार व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई जानकारी प्राप्त की जा सकती है। मेष राशि-- अक्षर- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आराशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल। राशि चक्र की सबसे प्रथम राशि मेष है। जिसके स्वामी मंगल है। धातु संज्ञक यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का प्रतीक मेढ़ा संघर्ष का परिचायक है। मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते है। यह लोग किसी के दबाव में कार्य करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ -सुथरा एवं आदर्शवादी होता है। बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी होते हैं। समाज में इनका वर्चस्व होता है एवं मान सम्मान की प्राप्ति होती है। निर्णय लेने में जल्दबाजी करते है तथा जिस कार्य को हाथ में लिया है उसको पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते। स्वभाव कभी-कभी विरक्ति का भी रहता है। लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता। दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है। वृष राशि-- अक्षर- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वोराशि स्वरूप- बैल जैसा, राशि स्वामी- शुक्र। इस राशि का चिह्न बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है। पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है। मिथुन राशि-- अक्षर- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हराशि स्वरूप- स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध, राशि स्वामी- बुध। यह राशि चक्र की तीसरी राशि है। राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है। मृगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया है। जातक के अन्दर माया के प्रति भावना पाई जाती है, जातक जीवनसाथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है। साथ ही, घरेलू कारणों के चलते कई बार आपस में तनाव रहता है मंगल और शुक्र की युति के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है। जातक वाहनों की अच्छी जानकारी रखता है। नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है। इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है। कर्क राशि-- अक्षर- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डोराशि स्वरूप- केकड़ा, राशि स्वामी- चंद्रमा। राशि चक्र की चौथी राशि कर्क है। इस राशि का चिह्न केकड़ा है। यह चर राशि है। राशि स्वामी चन्द्रमा है। इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। कर्क राशि के लोग कल्पनाशील होते हैं। शनि-सूर्य जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और जातक में अहम की भावना बढ़ाते हैं। जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है, वहां परेशानी ही मिलती है। शनि-बुध दोनों मिलकर जातक को होशियार बना देते हैं। शनि-शुक्र जातक को धन और जायदाद देते हैं। सिंह राशि-- अक्षर- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टेराशि स्वरूप- शेर जैसा, राशि स्वामी- सूर्य। सिंह राशि पूर्व दिशा की द्योतक है। इसका चिह्न शेर है। राशि का स्वामी सूर्य है और इस राशि का तत्व अग्नि है। इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण, पूर्वा फाल्गुनी के चारों चरण और उत्तराफाल्गुनी का पहला चरण आता है। केतु-मंगल जातक में दिमागी रूप से आवेश पैदा करता है। केतु-शुक्र, जो जातक में सजावट और सुन्दरता के प्रति आकर्षण को बढ़ाता है। केतु-बुध, कल्पना करने और हवाई किले बनाने के लिए सोच पैदा करता है। चंद्र-केतु जातक में कल्पना शक्ति का विकास करता है। शुक्र-सूर्य जातक को स्वाभाविक प्रवृत्तियों की तरफ बढ़ाता है। जातक का सुन्दरता के प्रति मोह होता है और वे कामुकता की ओर भागता है। जातक में अपने प्रति स्वतंत्रता की भावना रहती है और किसी की बात नहीं मानता। कन्या राशि-